घटना के बाद कलेक्टर सहित जल संसाधन विभाग के अधिकारी मौके पर पहुंचे। विभाग द्वारा क्षतिग्रस्त हिस्से को ठीक करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन देर शाम तक सफलता नहीं मिली। बांध से अभी भी पानी का बहाव जारी है। यदि पानी नहीं रुका तो बांध में कटाव का हिस्सा और ज्यादा बढ़ जाएगा और फिर नुकसान का आंकलन करना मुश्किल होगा। घटना से गांव वाले चिंतित है। इस बांध के पानी से रबी के सीजन में भी खेती में सिंचाई की व्यवस्था रहती थी, पानी बह जाने के कारण रबी की खेती भी प्रभावित होगी, क्योंकि अब बारिश का सीजन भी निकल गया है।
ग्राम पंचायत गेरसा का यह बांध साल 1990 में बनकर तैयार हुआ था। 1988 में इसका निर्माण शुरू हुआ था। इसकी सिंचाई क्षमता लगभग 81 हेक्टेयर है। यह बांध अपेक्षाकृत छोटा है, लेकिन ग्राम पंचायत और आसपास के किसानों के लिए खेती का प्रमुख सहारा रहा। इस बार मानसून में लगातार हुई बारिश से बांध लबालब भरा था। ग्रामीणों के अनुसार कई दिनों से बांध के मेड़ से पानी रिस रहा था। समय रहते मरम्मत नहीं होने के कारण आखिरकार बांध का हिस्सा टूट गया।
ग्राम पंचायत गेरसा के उप सरपंच बालकिशुन यादव ने कहा कि हर साल पानी भरने के बाद बांध से पानी का हल्का रिसाव होता था, लेकिन इसे देखकर ऐसा नहीं लगा था कि बांध फूट जाएगा। सरपंच अमरदेव ने कहा कि विभागीय अधिकारियों को पानी रिसाव की जानकारी पहले दी गई थी। वहीं स्थानीय ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि अगर विभाग ने वार्षिक निरीक्षण और मरम्मत की होती तो फसलें बचाई जा सकती थीं। उन्होंने कहा कि अब किसानों की मेहनत पानी में बह गई है और सरकार को तत्काल मुआवजा देना चाहिए।
हाल ही में सरगुजा संभाग में लगातार हो रही भारी बारिश से पुराने बांधों की स्थिति गंभीर हो गई है। बलरामपुर जिले में लुत्ती बांध मंगलवार की रात टूट गया था, जिसमें 7 लोग बह गए थे और अब तक 6 शव बरामद हो चुके हैं। शनिवार को 55 साल के जतिन खैरवार का शव भी खेत में दबा मिला। रजाखार बांध, गोपालपुर बांध भी पूरी तरह से लबालब भर चुके हैं और खतरे की स्थिति में हैं। बलरामपुर जिले के राजपुर, सूरजपुर और जशपुर के कई पुराने बांध भी उच्च जल स्तर पर पहुंच गए हैं।
गेरसा और आसपास के गांवों के किसान अब प्रशासन से तत्काल मुआवजा देने की मांग कर रहे हैं। किसानों का कहना है कि फसल नुकसान का सर्वे कर सरकार को मुआवजा देना चाहिए ताकि वे आगामी रबी सीजन की तैयारी कर सकें। साथ ही, ग्रामीणों ने यह भी कहा है कि बांधों की नियमित देखरेख और समय पर मरम्मत ही ऐसे हादसों को रोक सकती है।
इन किसानों की फसलें पूरी तरह बर्बाद
कैलाश शोभा – 1 एकड़ धान की फसल सुखबईया गंगाराम – खेत पूरी तरह पानी में डूबा सीताराम – 1 एकड़ फसल रामेश्वर यादव – 1 एकड़ फसल ढोला – 50 डिसमिल यदुमन, परशुराम, मधु सिंह सहित अन्य किसानों के खेत भी डूब गए
घटना की जानकारी मिलते ही कलेक्टर विलास भोस्कर स्वयं प्रशासनिक अमले और जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के साथ मौके पर पहुंचे। बांध में पानी लबालब भरा हुआ था, लेकिन मेड़ टूटने से करीब 2 मीटर पानी निकल गया, जिससे दबाव कम हुआ। इसके बाद प्रशासन ने तत्काल मरम्मत कार्य शुरू करवा दिया।
जल संसाधन विभाग के ईई अशोक निरंजन ने कहा कि बांध में ऊपर के हिस्से का पानी ही बहेगा, अभी 2 मीटर ही पानी बहा है। 10 मीटर पानी बांध में सुरक्षित रहेगा। रविवार सुबह से ही बांध की मरम्मत कराई जाएगी। 2-3 दिनों में मरम्मत पूरी कर ली जाएगी। ईई निरंजन ने कहा कि बांध को चूहे, सांप नुकसान पहुंचा देते हैं। ग्रामीणों ने भी चूहे, सांप और केकड़ों को नुकसान की वजह बताई।

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