चरचा जिला कोरिया। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण, नई दिल्ली के निर्देशानुसार एवं उच्चतम न्यायालय द्वारा सुकन्या संस्था विरुद्ध यूनियन ऑफ इंडिया व अन्य प्रकरण में पारित ऐतिहासिक निर्णय के अनुपालन में शुक्रवार को जिला जेल बैकुण्ठपुर का निरीक्षण किया गया। यह निरीक्षण न केवल कानूनी प्रक्रिया का हिस्सा था, बल्कि कैदियों को मानवीय दृष्टिकोण से प्रदान की जा रही सुविधाओं की गुणवत्ता की भी गहन समीक्षा का अवसर बना।
निरीक्षण दल में वरिष्ठ अधिकारी शामिल
इस निरीक्षण दल में जिले के शीर्ष अधिकारी शामिल रहे। प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण अध्यक्ष श्री शैलेश कुमार तिवारी के नेतृत्व में कलेक्टर श्रीमती चंदन त्रिपाठी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक श्री पंकज पटेल, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट श्रीमती प्रतिक्षा अग्रवाल, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण की सचिव श्रीमती अमृता दिनेश मिश्रा, एडवोकेट अजय सिंह तथा विजिटर बोर्ड के अन्य सदस्य मौजूद रहे। इतने उच्च स्तरीय दल की उपस्थिति ने निरीक्षण को और अधिक महत्वपूर्ण बना दिया।
कैदियों से संवाद और समस्याओं की सुनवाई
निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने जेल में बंद कैदियों से आमने-सामने मुलाकात की। इस अवसर पर कैदियों को यह आश्वस्त किया गया कि उन्हें उपलब्ध कराई जाने वाली विधिक सेवाओं में किसी भी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जाएगा। कैदियों ने अपनी-अपनी समस्याएँ भी रखीं, जिनमें से कई का मौके पर ही समाधान करने का प्रयास किया गया।
अधिकारियों ने कहा कि जेल बंदियों को समय पर कानूनी सहायता उपलब्ध कराना न्याय व्यवस्था की मूलभूत आवश्यकता है। किसी भी कैदी को उसके अधिकारों से वंचित नहीं किया जा सकता।
सुविधाओं की जांच
निरीक्षण दल ने जेल परिसर का विस्तार से अवलोकन किया।
बैरक और शौचालय: सफाई व्यवस्था की जांच की गई और पाया गया कि स्वच्छता बनाए रखने के प्रयास किए जा रहे हैं।
भोजन की गुणवत्ता: कैदियों को दिए जा रहे भोजन का नमूना लेकर उसकी गुणवत्ता की समीक्षा की गई।
स्वास्थ्य सेवाएँ: जेल में उपलब्ध स्वास्थ्य सुविधाओं की जानकारी ली गई और यह सुनिश्चित किया गया कि आवश्यक दवाएँ और प्राथमिक उपचार सभी को उपलब्ध हों।
लीगल एड क्लीनिक: जेल में संचालित लीगल एड क्लीनिक का भी निरीक्षण हुआ। अधिकारियों ने बंदियों को मिल रही विधिक सहायता का जायजा लिया और इसे संतोषजनक पाया।
विशेष रूप से यह तथ्य सामने आया कि जिला जेल बैकुण्ठपुर में जातिगत या किसी अन्य आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव नहीं किया जा रहा है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का अनुपालन
यह निरीक्षण उच्चतम न्यायालय के दिनांक 3 अक्टूबर 2024 के आदेश के दिशा-निर्देशों के तहत किया गया। सर्वोच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि जिला विधिक सेवा प्राधिकरण और विजिटर बोर्ड द्वारा प्रत्येक तिमाही में जेल का निरीक्षण अनिवार्य रूप से किया जाएगा। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि जेलों में बंद कैदियों को उनके संवैधानिक अधिकारों और मूलभूत सुविधाओं से वंचित न किया जाए।
मानवाधिकारों की रक्षा की दिशा में पहल
निरीक्षण के दौरान अधिकारियों ने स्पष्ट संदेश दिया कि जेल केवल दंड का स्थान नहीं, बल्कि सुधार और पुनर्वास की प्रक्रिया का केंद्र भी है। यहाँ बंदियों को न्यायिक प्रक्रिया के अंतर्गत उनके अधिकार दिए जाने आवश्यक हैं। न्यायिक व प्रशासनिक अधिकारियों ने यह भी कहा कि कैदियों को कानूनी सहायता समय पर मिले, ताकि वे न्याय से वंचित न हों।
निष्कर्ष
जिला जेल बैकुण्ठपुर का यह निरीक्षण न केवल एक औपचारिक प्रक्रिया रहा, बल्कि यह कैदियों को मूलभूत अधिकार और सेवाएँ उपलब्ध कराने की गंभीरता को भी दर्शाता है। निरीक्षण दल द्वारा की गई समीक्षा से यह साफ हुआ कि जेल प्रशासन व्यवस्था सुधारने के लिए प्रयासरत है और सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन पूरी गंभीरता से किया जा रहा है।
इस निरीक्षण से यह संदेश भी गया कि जिला स्तर पर न्यायपालिका और प्रशासन मिलकर बंदियों को न्याय दिलाने और उनके अधिकार सुरक्षित करने के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं।
0 टिप्पणियाँ