लेकिन आज का यथार्थ बिल्कुल अलग है। अस्पताल प्रशासन और स्थानीय जिम्मेदार अधिकारी मौन साधे हुए हैं, जबकि गंभीर रूप से बीमार मरीज पुराने आईसीयू में इलाज के लिए मजबूर हैं। पुराने आईसीयू में केवल चार बेड उपलब्ध हैं और अतिरिक्त मरीजों के लिए अस्पताल की गैलरी में अस्थायी बेड लगाए गए हैं, जहाँ इलाज चलना चिकित्सकीय दृष्टि से अत्यंत खतरनाक माना जा रहा है।
मरीजों के परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर जमकर नाराजगी व्यक्त की है। उनका आरोप है कि नया आईसीयू उद्घाटन केवल तस्वीरें खिंचवाने, फीता काटने और सोशल मीडिया पर प्रचार के लिए किया गया था। अब तक आम जनता को कोई भी वास्तविक सुविधा नहीं मिल सकी है। परिजन सवाल उठा रहे हैं कि क्या यह आईसीयू केवल एक राजनीतिक कार्यक्रम भर था, जबकि नागरिक स्वास्थ्य सुविधाओं से वंचित हैं।
स्थानीय समाजसेवी और स्वास्थ्य कार्यकर्ता भी प्रशासन से तात्कालिक कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। उनका कहना है कि नया आईसीयू तुरंत खोलकर उसमें गंभीर रोगियों का इलाज शुरू किया जाए। साथ ही संबंधित अधिकारियों के खिलाफ जवाबदेही तय की जाए, ताकि भविष्य में ऐसी लापरवाही और अव्यवस्था नहीं हो।
जनता की उम्मीदें स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार की दिशा में कदम उठाने की हैं। यदि उचित कार्रवाई नहीं की गई तो यह मामला सामाजिक आक्रोश का रूप ले सकता है।



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