चरचा कॉलरी।एसईसीएल बैकुंठपुर क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले चरचा आरओ में हजारों की संख्या में कोल कर्मी निवासरत हैं। ये वही कर्मी हैं जो प्रतिदिन कठिन परिस्थितियों में काम कर कोयला उत्पादन कर कंपनी के मुनाफे और क्षेत्र के विकास में अपनी अहम भूमिका निभा रहे हैं। लेकिन विडंबना यह है कि वही मेहनतकश कर्मचारी आज तक शुद्ध पेयजल से वंचित हैं।
जानकारी के अनुसार, चरचा आरओ कॉलोनी में लंबे समय से पेयजल की गुणवत्ता बेहद खराब बनी हुई है। सप्लाई के पानी में गंदगी और बदबू की शिकायतें आम हो चुकी हैं। कॉलोनीवासी मजबूरीवश वही दूषित पानी पीने को विवश हैं। स्थानीय निवासियों का कहना है कि कंपनी प्रशासन की लापरवाही और अनदेखी के कारण स्थिति दिनोंदिन गंभीर होती जा रही है।
हाल ही में सह क्षेत्र प्रबंधक कार्यालय में आयोजित एक बैठक में श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया। बैठक में प्रतिनिधियों ने कहा कि पानी की सप्लाई लगातार गंदी हो रही है, जिससे कर्मचारियों और उनके परिवारों के स्वास्थ्य पर खतरा मंडरा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, नव नियुक्त सह क्षेत्र प्रबंधक ने बैठक के दौरान स्वीकार किया कि वर्तमान में “बांध से आने वाला पानी ही गंदा है”, जिसके कारण कॉलोनी में अस्वच्छ पानी की सप्लाई हो रही है। उन्होंने यह भी बताया कि एलम डालने जैसी प्रक्रियाओं के बावजूद पानी को पूरी तरह शुद्ध नहीं किया जा पा रहा है।
गौरतलब है कि चरचा माइन्स का यह इलाका नगर पालिका क्षेत्र में भी आता है, जहां हजारों गैर-कोलरी कर्मचारी और आम नागरिक भी रहते हैं। लेकिन वहीं से मिलने वाला नगर पालिका का पानी अपेक्षाकृत स्वच्छ बताया जा रहा है। इससे स्पष्ट होता है कि एसईसीएल की जलशोधन व्यवस्था में गंभीर तकनीकी या प्रशासनिक खामी है।
स्थानीय नागरिकों और यूनियन प्रतिनिधियों का आरोप है कि एसईसीएल प्रबंधन कर्मचारियों की बुनियादी सुविधाओं की ओर ध्यान नहीं दे रहा। एक श्रमिक नेता ने कहा, “हम जान जोखिम में डालकर कोयला निकालते हैं, लेकिन कंपनी हमें पीने के लिए साफ पानी तक नहीं दे पा रही है। जब कोई प्रतिनिधि सवाल उठाता है तो उसे शांत करने की कोशिश की जाती है।
कर्मचारियों का कहना है कि लगातार दूषित पानी के सेवन से पेट और त्वचा संबंधी बीमारियाँ फैलने लगी हैं।
क्षेत्रवासियों ने मांग की है कि एसईसीएल प्रबंधन और स्थानीय प्रशासन संयुक्त रूप से इस गंभीर समस्या का तत्काल समाधान करें। फिल्टर प्लांट की नियमित सफाई, एलम की पर्याप्त उपलब्धता और पानी की जांच व्यवस्था सुनिश्चित की जाए।
यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं की गई, तो यूनियनें आंदोलन का रास्ता अपनाने की चेतावनी दे रही हैं। लोगों का कहना है कि अब यह केवल सुविधा का नहीं, बल्कि स्वास्थ्य और जीवन का सवाल है।
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