चरचा कॉलरी।नगर पालिका शिवपुर चरचा में विजयादशमी का पर्व सदैव से अपनी भव्यता और विशेष पहचान के लिए प्रसिद्ध रहा है। छत्तीसगढ़ के कोरिया ज़िले का यह नगर एक बार फिर श्रद्धा, आस्था और उल्लास का केंद्र बना, जब दशहरा पर्व पारंपरिक वैभव और धूमधाम के साथ मनाया गया।
शाम ढलते ही दशहरा मैदान और नगर की गलियों में श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा। हजारों की भीड़ के बीच लोग हाथ थामकर चलते रहे, ताकि इस विराट मेले में कोई साथी छूट न जाए। नगर के मार्ग माँ दुर्गा के भव्य, विद्युत सज्जा से आलोकित पंडालों से जगमगाते रहे। भजन-कीर्तन और आरती की गूंज ने पूरे वातावरण को पावन बना दिया।
मेले में मिठाइयों और खिलौनों की दुकानों से लेकर श्रृंगार और गृहस्थी के सामान तक की रौनक छाई रही। बच्चे झूलों और खिलौनों का आनंद ले रहे थे, वहीं महिलाएँ खरीदारी में व्यस्त रहीं। पूरा नगर मानो उत्सव की चादर में लिपटा हुआ था।
विशालकाय रावण के पुतले के सामने अपार जनसमूह उमड़ा। इस अवसर पर क्षेत्रीय विधायक एवं पूर्व मंत्री भईया लाल राजवाड़े विशेष रूप से उपस्थित रहे। रावण दहन समिति और श्री राजवाड़े ने विधिविधान से कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इससे पूर्व आयोजित जगराता और विभिन्न झांकियों ने श्रद्धालुओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
जैसे ही अग्निबाण रावण के पुतले से टकराया, आतिशबाज़ी की गूंज और आसमान में चमकते पटाखों के बीच पूरा मैदान “जय श्रीराम” और “जय माता दी” के जयघोषों से गूंज उठा। देखते ही देखते रावण धधक उठा और आकाश आतिशबाज़ी से जगमगाने लगा।
चरचा की धरती ने एक बार फिर विजयदशमी पर यह संदेश दिया कि असत्य पर सत्य और अंधकार पर प्रकाश की ही सदा विजय होती है। इस पर्व ने नगरवासियों के हृदयों में नई उमंग और उल्लास भर दिया और उनके चेहरों पर संतोष व खुशी की आभा बिखेर दी।
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