भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा का सफल आयोजन, बच्चों में संस्कार, संस्कृति और नैतिक मूल्यों के प्रति बढ़ी जागरूकता



चरचा कॉलरी कोरिया। अखिल विश्व गायत्री परिवार, शांतिकुंज हरिद्वार के तत्वावधान में भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा का भव्य आयोजन प्रज्ञा मंडल चरचा के द्वारा किया गया। यह परीक्षा शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय नगर, शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय बिशुनपुर एवं माध्यमिक शाला नगर में बड़े उत्साह और श्रद्धा के साथ संपन्न हुई।
इस परीक्षा में कक्षा 5वीं से 12वीं तक के विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया। बच्चों में प्रतियोगिता को लेकर गजब का उत्साह देखा गया। परीक्षा के दौरान विद्यार्थियों ने न केवल अपने ज्ञान का प्रदर्शन किया, बल्कि भारतीय संस्कृति और परंपराओं के प्रति अपनी गहरी रुचि भी दिखाई।
संस्कृति और संस्कारों से जुड़ने का अवसर
कार्यक्रम का उद्देश्य विद्यार्थियों के भीतर भारतीय संस्कृति, संस्कारों और नैतिक मूल्यों के प्रति जागरूकता बढ़ाना था। आज के आधुनिक युग में जहां शिक्षा का स्वरूप केवल अंक और प्रमाणपत्र तक सीमित होता जा रहा है, वहीं गायत्री परिवार इस तरह की परीक्षाओं के माध्यम से शिक्षा में संस्कार और चरित्र निर्माण की भावना को जोड़ने का कार्य कर रहा है।
विद्यार्थियों को गायत्री परिवार के आदर्शों, गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी और माता भगवती देवी शर्मा जी के जीवन दर्शन से परिचित कराया गया। इस अवसर पर आयोजकों ने बताया कि संस्कारवान एवं चरित्रवान नागरिक बनना ही सच्ची शिक्षा का सार है, और यही भारत की प्राचीन शिक्षा पद्धति की आत्मा रही है।

शिक्षकों और प्रज्ञा मंडल का योगदान

परीक्षा का संचालन स्थानीय प्रज्ञा मंडल चरचा के सदस्यों द्वारा किया गया। आयोजन में विद्यालय के शिक्षकों, सहयोगियों और स्वयंसेवकों का विशेष योगदान रहा। परीक्षा पूर्व विद्यार्थियों को गायत्री मंत्र जाप एवं नैतिक मूल्य अधारित लघु कथा के माध्यम से प्रेरित किया गया।
परीक्षा के दौरान वातावरण अत्यंत शांत, अनुशासित और प्रेरणादायक बना रहा। विद्यार्थियों में भारतीय संस्कृति के प्रति रुचि और जिज्ञासा देखकर शिक्षक वर्ग ने भी अपनी प्रसन्नता व्यक्त की।

संस्कारयुक्त जीवन की प्रेरणा

परीक्षा के उपरांत विद्यार्थियों को गायत्री माता एवं गुरुदेव पं. श्रीराम शर्मा आचार्य जी के पवित्र संदेशों से प्रेरणा दी गई। उन्हें जीवन में सत्य, निष्ठा, परिश्रम, विनम्रता और मानव सेवा जैसे गुणों को अपनाने का संकल्प दिलाया गया।

आयोजकों ने कहा कि ऐसे आयोजनों से बच्चों में नैतिक चेतना और राष्ट्रप्रेम की भावना मजबूत होती है। भारतीय संस्कृति ही वह आधार है जो व्यक्ति को सच्चे अर्थों में मानवता के मार्ग पर अग्रसर करती है।

भारतीय संस्कृति ही वह शक्ति है जो मानव को मानवता की ओर ले जाती है।

कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागी विद्यार्थियों की प्रशंसा करते हुए उन्हें प्रोत्साहित किया गया। प्रज्ञा मंडल के सदस्यों ने कहा कि आने वाले समय में इस परीक्षा को और अधिक विद्यालयों में आयोजित किया जाएगा ताकि अधिक से अधिक विद्यार्थी भारतीय संस्कृति से जुड़ सकें।

एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ