डिटोनेटर का अधिकार समाप्त होने के बाद भी चरचा माइन आरओ में जारी ब्लास्टिंग, सुरक्षा नियमों की खुली धज्जियाँ




चरचा काॅलरी।एसईसीएल बैकुंठपुर क्षेत्र अंतर्गत चरचा माइन आरओ में सुरक्षा और खनन नियमों की अनदेखी का गंभीर मामला सामने आया है। जानकारी के अनुसार 27 सितंबर 2025 को डिटोनेटर का वैध अधिकार समाप्त हो गया था, लेकिन इसके बावजूद अब तक डिटोनेटर के माध्यम से ब्लास्टिंग कार्य जारी है। यह न केवल सुरक्षा नियमों का उल्लंघन है बल्कि कर्मचारियों और आसपास के ग्रामीणों की जान को भी खतरे में डाल रहा है।

स्थानीय सूत्रों से प्राप्त जानकारी के अनुसार, माइन परिसर में प्रतिदिन ब्लास्टिंग का कार्य सामान्य रूप से जारी है जबकि डिटोनेटर की वैधता समाप्त हुए एक सप्ताह से अधिक का समय बीत चुका है। विशेषज्ञों का कहना है कि बिना वैध अनुमति के विस्फोटक सामग्री का उपयोग न केवल माइन सेफ्टी नियमों के खिलाफ है, बल्कि यह माइन एक्ट और विस्फोटक अधिनियम के तहत दंडनीय अपराध की श्रेणी में भी आता है।
कर्मचारियों और स्थानीय लोगों में भय का माहौल

इस स्थिति से माइन में कार्यरत मजदूरों और तकनीकी कर्मचारियों में भय का वातावरण है। उनका कहना है कि सुरक्षा नियमों की अनदेखी से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। आसपास के ग्रामीण भी आशंकित हैं कि यदि किसी दिन विस्फोटन नियंत्रण से बाहर हो गया तो बड़ी जनहानि संभव है।

प्रबंधन की मनमानी पर उठ रहे सवाल

सूत्रों के मुताबिक, क्षेत्र के सह क्षेत्र प्रबंधक द्वारा मनमानी रवैया अपनाया जा रहा है, जबकि महाप्रबंधक स्तर पर भी इस गंभीर विषय पर कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यह लापरवाही एसईसीएल प्रबंधन की जवाबदेही पर गंभीर प्रश्न खड़े करती है।

स्थानीय लोगों का कहना है कि उच्च प्रबंधन को तुरंत हस्तक्षेप करते हुए डिटोनेटर से की जा रही ब्लास्टिंग पर रोक लगानी चाहिए तथा जिम्मेदार अधिकारियों पर कठोर कार्रवाई सुनिश्चित करनी चाहिए।

जवाबदेही तय करना जरूरी

खनन क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञों का कहना है कि यदि इस तरह के मामलों में जिम्मेदारी तय नहीं की गई तो भविष्य में इस प्रकार की लापरवाहियां लगातार बढ़ती जाएंगी।
लोगों ने मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की जांच जिला प्रशासन या डीजीएमएस (Directorate General of Mines Safety) के माध्यम से कराई जाए, ताकि दोषियों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध उचित कानूनी कार्रवाई की जा सके।

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