जानकारी के अनुसार, कुछ महीने पूर्व ग्राम पंचायत खरवत महुआ पारा में सीसी रोड निर्माण कार्य की शुरुआत की गई थी। ग्रामीणों को उम्मीद थी कि लंबे समय से लंबित यह मार्ग जल्द ही बनकर तैयार होगा और आवागमन की परेशानियां समाप्त होंगी। लेकिन ठेकेदार द्वारा सड़क का केवल आधा-अधूरा निर्माण कर कार्य बंद कर दिया गया। आश्चर्यजनक रूप से, अधूरे कार्य के बावजूद ठेकेदार ने पूरा बिल समायोजित करवा लिया। नतीजा यह हुआ कि अधूरी बनी सड़क कुछ ही दिनों में टूट-फूट गई और बरसात के दौरान दलदल में बदल गई।
ग्रामीणों ने बताया कि इस मार्ग की स्थिति इतनी खराब है कि अब दोपहिया वाहन तो दूर, पैदल चलना भी जोखिम भरा हो गया है। बरसात के समय रास्ते में पानी भर जाने से यह मार्ग तालाब की तरह दिखाई देता है। कई बार ग्रामीणों के वाहन कीचड़ में फंस जाते हैं, जिससे लोगों को घंटों परेशानी झेलनी पड़ती है। मरीजों को अस्पताल ले जाने, बच्चों को स्कूल पहुंचाने और सामान की ढुलाई तक में बड़ी कठिनाइयाँ उत्पन्न हो रही हैं।
ग्रामवासीयों ने बताया कि उन्होंने इस समस्या को लेकर कई बार ग्राम पंचायत, जनपद पंचायत और संबंधित विभाग के अधिकारियों को अवगत कराया, लेकिन आज तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की गई। जिसके वजह से आधा अधुरा सड़क बनाकर बिल भंजा लिया गया।
स्थानीय जनप्रतिनिधियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी इस मामले पर नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि यह सड़क शासन और प्रशासन की लापरवाही का स्पष्ट उदाहरण है। सड़क निर्माण कार्यों में पारदर्शिता की कमी और ठेकेदारों की मनमानी के चलते ग्रामीण क्षेत्रों की विकास योजनाएँ अधूरी रह जाती हैं।
ग्रामीणों का कहना है कि सरडी से खरवत महुआपारा तक की यह सड़क केवल स्थानीय लोगों के लिए ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र के आर्थिक, शैक्षणिक और सामाजिक जीवन का प्रमुख मार्ग है। किसानों की फसल, व्यापारियों का माल और दैनिक उपयोग की वस्तुएँ इसी मार्ग से आवागमन करती हैं। सड़क जर्जर होने से अब परिवहन लागत बढ़ गई है और जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
क्षेत्रवासियों ने जिला प्रशासन और कलेक्टर से मांग की है कि इस मार्ग की तत्काल जांच कर अधूरे कार्य की जिम्मेदारी तय की जाए। साथ ही, संबंधित ठेकेदार के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करते हुए सड़क का निर्माण कार्य शीघ्र पूर्ण कराया जाए। ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि उनकी समस्याओं का जल्द समाधान नहीं हुआ तो वे सामूहिक रूप से प्रदर्शन करने और सड़क पर उतरने के लिए बाध्य होंगे।
ग्रामीणों को उम्मीद है कि प्रशासन इस गंभीर समस्या का संज्ञान लेकर जल्द ही ठोस कदम उठाएगा, ताकि उन्हें लंबे समय से झेल रही परेशानी से राहत मिल सके और क्षेत्र का विकास फिर से पटरी पर लौट सके।
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