कोरिया में जल संरक्षण का सफल मॉडल, 57 अमृत सरोवर और 1865 डबरियों ने बदली ग्रामीण आजीविका की तस्वीर,


जिला कोरिया। महात्मा गांधी नरेगा योजनांतर्गत कोरिया जिले में जलसंवर्धन और आजीविका उन्नयन के कार्यों ने ग्रामीण विकास को नई दिशा दी है। जल संरक्षण को जनआंदोलन बनाने प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा प्रारंभ किए गए मिशन अमृत सरोवर अभियान को छत्तीसगढ़ में गति देते हुए मुख्यमंत्री श्री विष्णुदेव साय ने सभी जिलों में अधिकाधिक अमृत सरोवर निर्माण के निर्देश दिए थे। इसी क्रम में कोरिया जिले में अब तक 57 अमृत सरोवरों का निर्माण एवं पुनर्जीवन सफलतापूर्वक पूर्ण किया जा चुका है।
5 लाख 70 हजार घनमीटर जल संचयन क्षमता विकसित

जनपद पंचायत बैकुण्ठपुर में 22 और सोनहत जनपद में 35 अमृत सरोवर विकसित किए गए हैं। प्रत्येक तालाब का औसत क्षेत्रफल एक एकड़ है, जिससे लगभग 10 हजार घनमीटर जलभराव की क्षमता निर्मित हुई है। इस प्रकार जिले में कुल 5 लाख 70 हजार घनमीटर से अधिक जलसंचयन क्षमता तैयार की जा चुकी है, जो ग्रामीण इलाकों में सिंचाई और भूजल पुनर्भरण के लिए वरदान साबित हो रही है।
महिला स्व-सहायता समूहों को मिला रोजगार व पोषण का साधन

सभी अमृत सरोवरों को ग्राम पंचायतों द्वारा महिला स्व-सहायता समूहों को मछली पालन हेतु लीज पर दिया गया है। इससे 57 समूहों की 570 से अधिक महिला सदस्यों को स्थायी आजीविका का साधन मिला है। साथ ही ग्रामीण पोषण अभियान को भी नई गति मिली है। इन जलाशयों से 5 से 17 एकड़ तक की सिंचाई संभव हो रही है, जिससे किसान अब दो फसलें और सब्जी उत्पादन आसानी से कर पा रहे हैं।
1865 डबरियों ने छोटे किसानों की बदली तस्वीर

बीते पांच वर्षों में जिले में 1865 डबरियों का निर्माण किया गया है। इनमें अधिकांश डबरियां अनुसूचित जाति, जनजाति वर्ग, पंजीकृत श्रमिकों एवं वनाधिकार पट्टा धारकों की भूमि पर निर्मित की गई हैं, जिससे उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिला है।जनपद पंचायत बैकुण्ठपुर में 1526 और सोनहत में 339 डबरियां बनाई गई हैं। इनसे किसानों ने अपनी बाड़ी में सब्जी उत्पादन, फलदार पौधारोपण और मछली पालन शुरू कर ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सराहनीय सुधार किया है।

ग्रामीण अर्थव्यवस्था में सकारात्मक परिवर्तन

जल संरक्षण के इन प्रयासों ने न केवल जल उपलब्धता और सिंचाई सुविधाओं को बढ़ाया है, बल्कि महिला स्व-सहायता समूहों की आर्थिक आत्मनिर्भरता को भी मजबूत किया है। खेती-किसानी को स्थायी आधार देने वाला यह मॉडल अब पूरे प्रदेश के लिए एक प्रेरणादायक उदाहरण बन गया है।

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