जिला कोरिया। तीन दिवसीय राज्योत्सव के दूसरे दिन राज्योस्थल लोकनृत्य और लोकसंगीत की सतरंगी आभा में डूबा रहा। राज्य की 25 वर्षों की विकास यात्रा को साक्षात महसूस करने पहुंचे दर्शक संस्कृति की जीवंत धड़कन से रूबरू हुए। मांदर की थाप और करमा गीतों की गूंज ने पूरे वातावरण को आनंद और उल्लास से भर दिया।
करमा नृत्य की सधी लय और संतुलित ताल पर कलाकारों के थिरकते कदमों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। वहीं, ददरिया लोकगीतों की मीठी तान ने ग्रामीण जीवन की सहजता और आत्मीयता को दिलों तक पहुँचा दिया।
राज्योत्सव के शुभारंभ दिवस पर पंथी नृत्य दल ने गुरु घासीदास बाबा के उपदेशों—सत्य, अहिंसा और समानता—का भावपूर्ण प्रदर्शन कर दर्शकों को प्रेरित किया। इसके साथ ही सूफी गीतों की मधुर प्रस्तुति ने शाम को आत्मिक और सुरम्य बना दिया।
संगीत, नृत्य और लोकरंगों के इस सुरम्य संगम ने लोगों को न केवल मनोरंजन दिया, बल्कि उन्हें प्रदेश की सांस्कृतिक जड़ों से भी गहराई से जोड़ा।
राज्योत्सव में आगामी दिनों में भी विभिन्न लोककला समूहों की आकर्षक प्रस्तुतियाँ जारी रहेंगी, जिनका जिलेवासी पूरे उत्साह के साथ आनंद उठा रहे हैं।
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