मनेन्द्रगढ़/जिला कोरिया।मानवता की मिसाल पेश करते हुए मनेन्द्रगढ़ निवासी शराफत अली ने एक टीबी मरीज को गोद लेकर समाज में करुणा और संवेदना का अद्भुत उदाहरण प्रस्तुत किया है। उन्होंने टीबी पीड़ित महिला संगीता सिंह को गोद लिया है और उसके इलाज के साथ-साथ पूरा पोषण आहार उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी स्वयं संभाली है।
शराफत अली का यह कदम केवल सहायता नहीं, बल्कि एक भावनात्मक संकल्प है ताकि कोई और परिवार वह पीड़ा न झेले, जो उन्होंने बचपन में झेली थी। वर्ष 1985 में उनके पिता स्वर्गीय शहाबुद्दीन अंसारी की मृत्यु टीबी जैसी गंभीर बीमारी से हो गई थी। उस समय शराफत मात्र आठ वर्ष के थे। सीमित आर्थिक संसाधनों और समाज में व्याप्त जागरूकता की कमी के कारण उनके पिता का इलाज समय पर नहीं हो सका। इस गहरे दुख ने ही आज उन्हें किसी जरूरतमंद मरीज की मदद करने के लिए प्रेरित किया।
‘नि-क्षय मित्र’ अभियान से जुड़कर निभा रहे सामाजिक जिम्मेदारी
भारत सरकार के नि-क्षय मित्र अभियान के तहत देशभर में टीबी उन्मूलन के लिए जनभागीदारी को बढ़ावा दिया जा रहा है। इस अभियान में समाजसेवी, संस्थाएं और सक्षम नागरिक आर्थिक रूप से कमजोर टीबी मरीजों को गोद लेकर उनके इलाज के दौरान पोषण सहायता उपलब्ध कराते हैं।
शराफत अली ने कहा मैंने अपने पिता को इस बीमारी से खो दिया था। उस समय संसाधनों की कमी ने हमें बहुत कुछ सिखाया। आज जब सरकार इस दिशा में ठोस कदम उठा रही है, तो हमें भी समाज के हिस्से के रूप में अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए। किसी की जान सिर्फ इसलिए न जाए कि उसके पास पोषण या इलाज के लिए साधन नहीं हैं।
कोरिया जिले में 274 टीबी मरीज पंजीकृत
मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर जिले में फिलहाल 274 टीबी मरीज पंजीकृत हैं, जिनमें से अकेले मनेन्द्रगढ़ ब्लॉक में 136 मरीज हैं। इनमें कई मरीज ऐसे हैं जिनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है, जिसके कारण वे संतुलित पोषण नहीं ले पाते। ऐसे मरीजों के लिए नि-क्षय मित्र अभियान उम्मीद की किरण बन रहा है।
शराफत अली ने आगे कहा यह प्रयास किसी व्यक्ति विशेष का नहीं, बल्कि समाज के हर संवेदनशील नागरिक का होना चाहिए। मैं सभी से अपील करता हूं कि वे भी इस अभियान से जुड़ें और टीबी मरीजों की मदद के लिए आगे आएं।
टीबी मुक्त भारत की दिशा में बड़ा लक्ष्य
भारत सरकार ने वर्ष 2025 तक टीबी मुक्त भारत का लक्ष्य निर्धारित किया है। सरकार द्वारा टीबी मरीजों को निःशुल्क दवाएं, परामर्श, तथा मासिक आर्थिक सहायता 1000 रुपये तक दी जा रही है। साथ ही, स्वास्थ्य विभाग लगातार जागरूकता अभियान चला रहा है ताकि मरीज इलाज के प्रति उदासीन न रहें और समय पर अपना पूरा उपचार कराएं।
भारत सरकार के सर्वेक्षण के अनुसार, देश में हर वर्ष करीब 26 लाख लोग टीबी से ग्रसित होते हैं, जिनमें से लगभग 4 लाख लोगों की मृत्यु हो जाती है। सरकार और समाज के संयुक्त प्रयासों से इन आंकड़ों में कमी लाने की दिशा में कार्य जारी है।
मानवता की मिसाल – प्रेरणा बनने वाला कदम
शराफत अली का यह मानवीय कदम न केवल एक मरीज के जीवन में उम्मीद की किरण लेकर आया है, बल्कि समाज के लिए प्रेरणा भी बन गया है। उन्होंने जिस करुणा और जिम्मेदारी की भावना से यह निर्णय लिया, वह बताता है कि संवेदनशील नागरिक समाज में कितना बड़ा बदलाव ला सकते हैं।
अगर हर व्यक्ति अपने आसपास के किसी जरूरतमंद की मदद के लिए आगे आए, तो समाज में कोई भी बीमारी या गरीबी किसी की जान नहीं ले सकेगी। शराफत अली
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